Dussehra 2023: आखिर क्यों मनाया जाता है दशहरा, कल इस शुभ मुहूर्त में होगी पूजा और रावण दहन

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Dussehra 2023: दशहरा क्यों मनाया जाता है

Dussehra 2023: राम अयोध्या नगरी के राजकुमार थे, उनकी पत्नी का नाम सीता था एवम उनके छोटे भाई थे, जिनका नाम लक्ष्मण था. राजा दशरथ राम के पिता थे. उनकी पत्नी कैकई के कारण इन तीनो को चौदह वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या नगरी छोड़ कर जाना पड़ा. उसी वनवास काल के दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया.
रावण चतुर्वेदो का ज्ञाता महाबलशाली राजा था, जिसकी सोने की लंका थी,  लेकिन उसमे अपार अहंकार था. वो महान शिव भक्त था और खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन बताता था. वास्तव में रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे एवं माता राक्षस कुल की थी,
इसलिए रावण में एक ब्राह्मण के समान ज्ञान था एवम एक राक्षस के समान शक्ति और इन्ही दो बातों का रावण में अहंकार था. जिसे ख़त्म करने के लिए भगवान विष्णु ने रामावतार लिया था

Dussehra 2023: लक्ष्मण द्वारा रावण की बहन शूर्पणखा का नाक काट देने के कारण रावण बहुत क्रोधित हुआ और माता सीता का अपहरण किया। रावण जानता था कि सीता एक साधारण स्त्री नहीं थी उनसा हरण आसान नहीं होगा क्योंकि सीता के पास मायावी शक्तियां थी, इसलिए रावण ने एक साधु के रूप मेंआकर छल के द्वारा माता सीता का हरण किया और उसे अपने राज्य ‘लंका’ में ले गया जो वर्तमान में श्रीलंका के नाम से जानी जाती है।

Dussehra 2023: राम ने अपनी सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया, जिसमे वानर सेना एवम हनुमान जी ने राम का साथ दिया. इस युद्ध में रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी भगवान राम का साथ दिया और अन्त में भगवान राम ने रावण को मार कर उसके घमंड का नाश किया.इसी विजय के स्वरूप में प्रति वर्ष विजियादशमी मनाई जाती हैं.Dussehra 2023

Dussehra 2023: दशहरा पर्व से जुड़ी कथाएं

1.राम की रावन पर विजय का पर्व
2.राक्षस महिसासुर का वध कर दुर्गा माता विजयी हुई थी
3.पांडवों का वनवास
4.देवी सती अग्नि में समां गई थी.
Dussehra 2023: दशहरा यानी विजयादशमी का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दशहरे के दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी. इसी दिन देवी मां की प्रतिमा विसर्जन भी होता है. इस दिन अस्त्र शस्त्रों की पूजा की जाती है और विजय पर्व मनाया जाता है. आइए आपको विजयादशमी पर्व का महत्व और पूजन विधि बताते हैं.

कैसे मनाएं दशहरा?

Dussehra 2023: इस दिन सबसे पहले देवी और फिर भगवान राम की पूजा करें. पूजा के बाद देवी और प्रभु राम के मंत्रों का जाप करें. अगर कलश की स्थापना की है तो नारियल हटा लें. उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. कलश का जल पूरे घर में छिड़कें. ताकि घर की नकारात्मकता समाप्त हो जाए. जिस जगह आपने नवरात्रि मे पूजा की है, उस स्थान पर रात भर दीपक जलाएं. अगर आप शस्त्र पूजा करना चाहते हैं तो उस पर तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधें.

तिथि और मुहूर्त

Dussehra 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल दशमी तिथि 23 अक्टूबर शाम 5 बजकर 44 मिनट से 24 अक्टूबर दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के चलते 24 अक्टूबर को विजयदशमी मनाई जाएगी. इस दिन सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. फिर दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से दोपहर 2 बजकर 43 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा. पूजा के लिए ये दोनों ही मुहूर्त शुभ हैं

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